उगत॑ हुअ॑ सूरूज क॑ अर्घ्य अर्पित करै के साथ भेलै छठ महापर्व के समापन | News in Angika
पुर्णिया / दुमका /गोड्डा/ भागलपुर/सुलतानगंज/खगड़िया/बेगूसराय/सुपौल/मधेपुरा । लोक आस्था केरऽ महापर्व छठ केरऽ अंतिम दिन व्रती सिनी न॑ उगतें हुअ॑ सूर्य क॑ अर्घ्य अर्पित करलकै । एकरऽ साथ ही छठ महापर्व के समापन होय गेलै । व्रती सूर्योदय सें पहल॑ ही घाटऽ प॑ पहुंची गेलऽ छेलै ।
दुमका,गोड्डा,भागलपुर,सुलतानगंज,खगड़िया,बेगूसराय,पुर्णिया,सुपौल,मधेपुरा सहित सौंसे अंग प्रदेश में गंगा, कोसी व अन्य नदी, झील आरू तलाबऽ के घाटऽ प॑ भिनसरे स्नान करी क॑ व्रतियऽ सिनी न॑ भास्कर देव क॑ ऋतु फल, कंद मूल आरू विविध प्रकार के पकवानऽ सें अर्घ्य द॑ क॑ परिवार,समाज,राज्य आरू राष्ट्र के सुखशांति के कामना करलकै।
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष केरऽ चतुर्थी (नहाय-खाय) स॑ शुरू होलऽ छठ महोत्सव सप्तमी शुक्रवार क॑ उगतें भास्कर देव क॑ अर्घ्य दै के साथ ही संपन्न होय गेलै । भोर के बेला में व्रती महिला सिनी अपनऽ परिवारजनऽ के साथ सूप, मुंजेला आरू डलिया में फल-पकवान ल॑ क॑ छठ माय के गीत गैतें नद्दी-तलाब सब के घाट तक पहुंचलै ।
जहां कमर तक जल में खाड़ऽ होय क॑ सूर्य आराधना करते हुए सूर्यादय के प्रतीक्षा करलकै। सुरूज भगवान के प्रकट होथैं व्रती सिनी न॑ गाय के दूध सें भगवान भास्कर क॑ अर्घ्य द॑ क॑ घर-परिवार आरू सबके सुख शांति आरू खुशहाली के छठ माय सें कामना करलकै ।
छठ महापर्व देश-विदेश केरऽ अन्य हिस्सा में बसलऽ अंगवासियऽ द्वारा भी पारंपरिक तरीका स॑ मनैलऽ गेलै ।
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