श्रावणी मेला आरंभ होते ही गूंजने लगे बाबा भोले के गीत
बांका: सावन के आगमन का एहसास अब बाजारों में भी होने लगा है। चौक-चौराहों व बाजारों में बाबा भोले के गीत गूंजने लगे हैं। शिव मंदिरों
की चमक-दमक भी बढ़ गई है।
पंजवारा सहित आसपास के बाजार में अंगिका, भोजपुरी, खोरठा व हिन्दी में गूंजते ये गीत लोगों को भी कर्णप्रिय लगने लगे हैं। इतना ही नहीं घरों में भी
लोग इस तरह के कैसेट बजाने लगे हैं। कपड़ा दुकानों में गेरुआ वस्त्र सहित थैला आदि लटक चुके हैं। श्रृंगार की दुकानों पर भी हरी चूड़ियां आदि की खरीदारी बढ़
गई है। बता दें कि पश्चिम बंगाल के कई जिलों के श्रद्धालु इसी होकर देवघर जाते हैं। इसके अलावा भागलपुर से जल भरकर काफी संख्या में लोग इस परिक्षेत्र के
शिवपुर, खटनई के कष्टहरनाथ, डांड़ै के सिंहेश्वरनाथ, पैर पहाड़ी आदि मंदिरों में पैदल आकर जलाभिषेक करते हैं।
की चमक-दमक भी बढ़ गई है।
पंजवारा सहित आसपास के बाजार में अंगिका, भोजपुरी, खोरठा व हिन्दी में गूंजते ये गीत लोगों को भी कर्णप्रिय लगने लगे हैं। इतना ही नहीं घरों में भी
लोग इस तरह के कैसेट बजाने लगे हैं। कपड़ा दुकानों में गेरुआ वस्त्र सहित थैला आदि लटक चुके हैं। श्रृंगार की दुकानों पर भी हरी चूड़ियां आदि की खरीदारी बढ़
गई है। बता दें कि पश्चिम बंगाल के कई जिलों के श्रद्धालु इसी होकर देवघर जाते हैं। इसके अलावा भागलपुर से जल भरकर काफी संख्या में लोग इस परिक्षेत्र के
शिवपुर, खटनई के कष्टहरनाथ, डांड़ै के सिंहेश्वरनाथ, पैर पहाड़ी आदि मंदिरों में पैदल आकर जलाभिषेक करते हैं।
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