डॉ. अमरेंद्र द्वारा लिखित अंगिका खंड काव्य 'शबरी' पर मंथन
देवघर : बरमसिया स्थित नंदन सदन में डॉ. अमरेंद्र द्वारा लिखित अंगिका खंड काव्य 'शबरी' पर मंथन किया गया। गोष्ठी में विभिन्न साहित्यकारों ने रामायण की पात्र शबरी के बहाने स्त्री पर विमर्श किया।
विषय प्रवेश कराते हुए उदित अंगिका साहित्य परिषद के महामंत्री धीरेंद्र छतारवाला ने कहा कि डॉ. अमरेंद्र अंगिका साहित्य के ऐसे साहित्यकार हैं, जिन्होंने हिंदी, संस्कृत एवं लोक साहित्य में प्रचलित कहानियों को आधुनिक बनाने का कार्य किया। इसकी झलक रामायण के पात्र शबरी में देखी जा सकती है।
डॉ. अमरेंद्र की साध्य प्रकाशित खंड काव्य है शबरी। इसमें कवि ने शबरी के जीवन से जुड़ी सारी कथाओं को समेटते हुए उनके व्यक्तित्व को उजागर किया है। स्त्री विमर्श के दृष्टिकोण से यह काबिलेतारीफ है।
बलराम दसौंधी ने कहा कि यह काव्य अंगिका में प्रस्तुत किया गया है। इसकी जितनी तारीफ की जाए कम है। मोहनदास उमंग ने कहा कि शबरी एक कोल जाति है, जिसका संबंध साबरमती के तटीय जीवन से है। अपनी अपूर्व भावना से वह राम को आराध्य मानती है। तुलसीदास ने रामचरितमानस में शबरी की भक्ति की पराकाष्ठा को पार करते हुए कहा है कि राम-लक्ष्मण उसके दर्शन कर धन्य हो जाते हैं।
डॉ. विनोद प्रसाद मिश्र, नंदकिशोर राय, मृणाल भूषण ने भी विचार व्यक्त किए। मौके पर सच्चिदानंद कुंवर, शशिभूषण, राकेश राय, उमेश महाराज, प्रो. करुणाकर महाराज आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता नागेश्वर शर्मा ने की और कहा कि यह अंगिका की उत्कृष्ट रचना है।
(Source: http://www.jagran.com/jharkhand/deoghar-11012100.html )
विषय प्रवेश कराते हुए उदित अंगिका साहित्य परिषद के महामंत्री धीरेंद्र छतारवाला ने कहा कि डॉ. अमरेंद्र अंगिका साहित्य के ऐसे साहित्यकार हैं, जिन्होंने हिंदी, संस्कृत एवं लोक साहित्य में प्रचलित कहानियों को आधुनिक बनाने का कार्य किया। इसकी झलक रामायण के पात्र शबरी में देखी जा सकती है।
डॉ. अमरेंद्र की साध्य प्रकाशित खंड काव्य है शबरी। इसमें कवि ने शबरी के जीवन से जुड़ी सारी कथाओं को समेटते हुए उनके व्यक्तित्व को उजागर किया है। स्त्री विमर्श के दृष्टिकोण से यह काबिलेतारीफ है।
बलराम दसौंधी ने कहा कि यह काव्य अंगिका में प्रस्तुत किया गया है। इसकी जितनी तारीफ की जाए कम है। मोहनदास उमंग ने कहा कि शबरी एक कोल जाति है, जिसका संबंध साबरमती के तटीय जीवन से है। अपनी अपूर्व भावना से वह राम को आराध्य मानती है। तुलसीदास ने रामचरितमानस में शबरी की भक्ति की पराकाष्ठा को पार करते हुए कहा है कि राम-लक्ष्मण उसके दर्शन कर धन्य हो जाते हैं।
डॉ. विनोद प्रसाद मिश्र, नंदकिशोर राय, मृणाल भूषण ने भी विचार व्यक्त किए। मौके पर सच्चिदानंद कुंवर, शशिभूषण, राकेश राय, उमेश महाराज, प्रो. करुणाकर महाराज आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता नागेश्वर शर्मा ने की और कहा कि यह अंगिका की उत्कृष्ट रचना है।
(Source: http://www.jagran.com/jharkhand/deoghar-11012100.html )
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