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मौज-मस्ती व सैर-सपाटे ने मंदार को दी नई उंचाई

बांका : पौराणिक व धार्मिक महत्ता वाला मंदार बुधवार को एक बार फिर उत्सवी रंग में डूबा था। हर तरफ मकर संक्रांति वाली भीड़ दिख रही थी। मगर मंदार महोत्सव व मकर संक्रांति में अभी पूरे 13 दिनों का वक्त बांकी है। इसके बावजूद इतनी भीड़ इसकी खूबसूरती और पर्यटक स्थल बनने की दिशा में बढ़े कदम को मजबूती प्रदान करता है। मंदार पर इतनी भीड़ मंदार मेले के दौरान ही दिखती है। पर नए साल के स्वागत पर भी लोगों का खूब मजमा लगा। महरmandarणा से लेकर सबलपुर गांव तक दोनों प्रमुख सड़कों पर दिन भर मेले का नजारा दिखा। पूरे पहाड़ पर कहीं जगह खाली जगह नहीं बची थी। तलहटी से लेकर जैन मंदिर के उपरी शिखर तक लोगों का ठेलमठेल जारी दिखा। पापहरणी, विष्णुमंदिर, मुख्य गेट तक पर भारी भीड़ जमा थी। स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि मंदार पर पहली जनवरी को पहली बार इतनी संख्या में लोग जुटे है। यह भीड़ हर साल मेला में देखने को मिलता है। वैसे इसके पीछे कम ठंड और खिली दोपहर को भी वजह बतायी गई। अलबत्ता, मंदार ने एक बार फिर साबित किया कि, पौराणिक व धार्मिक ही नहीं खूबसूरती के पैमाने पर भी उसकी कोई सानी नहीं है। तभी तो पिकनिक मनाने के लिए भी लोगों की पहली पसंद मंदार बन रहा है। अधिक लोगों की पसंद बन रहे मंदार पर पर्यटन की संभावनाएं और अधिक है। थोड़ी सी सुविधा के बाद आसपास जिलों से लोगों की भीड़ जुट रही है। रोप-वे निर्माण के बाद इसको और गति मिलने की संभावना है। वैसे पहाड़ पर चढ़ने के लिए बढ़ी भीड़ और इसके सीढ़ी निर्माण का अधूरा काम बड़ा खतरनाक दिखा। खड़ी चढ़ाई की जगह पकड़ने की रेलिंग नहीं बनने से वहां दुर्घटना की आशंका बनी हुई है। वैसे इस साल कुछ दूरी तक सिमेंटेड सीढ़ी निर्माण से लोगों ने चढ़ाई में थोड़ी राहत महसूस की। नये साल के उत्साह ने अबकी मंदार मेले का रंग भी अधिक चटख होने की ओर इशारा किया है। वैसे भी अबकी मेला को राजकीय मेला का दर्जा हासिल हो गया है। इसके लिए सरकार से अतिरिक्त आवंटन प्राप्त हुआ है। महोत्सव में पहली बार घुड़सवारी, तैराकी आदि प्रतियोगिता का आयोजन कराया जा रहा है।
(Source: http://www.jagran.com/bihar/banka-10976498.html)

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